Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

दुनिया की हर कोरोना वैक्सीन भारत में मिलेगी

  नई दिल्ली । देश में वैक्सीन की किल्लत दूर करने के लिए सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया है। जिन वैक्सीन्स को दुनिया के किसी भी देश की सर...

यह भी पढ़ें :-

 


नई दिल्ली । देश में वैक्सीन की किल्लत दूर करने के लिए सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया है। जिन वैक्सीन्स को दुनिया के किसी भी देश की सरकारी एजेंसी ने अप्रूवल दे रखा है, इन सबको भारत भी मंजूरी देगा।

सरकार ने अपने आदेश में जिन संस्थाओं का नाम लिया है, वे अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन, जापान और WHO से जुड़ी हैं। वैक्सीन को मंजूरी देने वालों में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी, यूकेएमएचआरए, पीएमडीए जापान और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन शामिल हैं। सरकार इससे पहले रूस की स्पुतिनक-V को भी देश में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे चुकी है।

100 मरीजों पर 7 दिन टेस्ट होगा, फिर वैक्सीनेशन ड्राइव में शामिल करेंगे
जिन वैक्सीन को सरकार ने मंजूरी दी है, उन्हें अगले 7 दिनों तक 100 मरीजों पर परखा जाएगा। उसके बाद देश के टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा। सरकार का दावा है कि इस फैसले से भारत में वैक्सीन इंपोर्ट करने और टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाने में मदद मिलेगी।

सरकार के इस फैसले से इन दवा कंपनियों के लिए विदेशी वैक्सीन को भारत में बनाने की मंजूरी लेने में भी आसानी होगी।

एक दिन पहले देश को मिली तीसरी वैक्सीन
सोमवार को एक्सपर्ट कमेटी ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दे दी थी। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने भी इसे मंजूरी दे दी है। भारत के कोरोना टीकाकरण अभियान में शामिल होने वाली तीसरी वैक्सीन बन गई है। इस बीच, रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने कहा कि भारत दुनिया का 60वां देश है, जिसने स्पुतनिक-V के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दी है।

16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ था
भारत में 16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ था और इसके लिए इसी साल की शुरुआत में कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को मंजूर किया गया था। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। भारत में पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया  इसका प्रोडक्शन कर रहा है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर बनाया है।

No comments