* मुख्यमंत्री आपातकाल और ज़बरिया नसबंदी का औचित्य सिद्ध करके कांग्रेस के उसी राजनीतिक चरित्र का परिचय दे रहे हैं, जिसमें रंगे बघेल आज प्रदेश ...
*मुख्यमंत्री आपातकाल और ज़बरिया नसबंदी का औचित्य सिद्ध करके कांग्रेस के उसी राजनीतिक चरित्र का परिचय दे रहे हैं, जिसमें रंगे बघेल आज प्रदेश में आपातकाल जैसे हालात पैदा कर रहे*
*रायपुर।* भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के लिए क़ानून बनाने की चर्चा को आपातकाल के दौरान की गई नसबंदी से जोड़े जाने को उनकी राजनीतिक समझ के दीवालिएपन का परिचायक बताया है। श्री चंद्राकर ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मुख्यमंत्री बघेल अपनी सियासी बदनीयती के प्रदर्शन का कोई मौक़ा छोड़ना नहीं चाहते हैं और कुछ भी कहने के लिए कहना उनकी लत बनती जा रही है। श्री चंद्राकर ने मुख्यमंत्री बघेल के उस बयान को कांग्रेस के आपातकाल की दमनकारी और आतंककारी प्रवृत्ति को फिर से ज़िंदा करने वाला बताया है, जिसमें मुख्यमंत्री बघेल ने भाजपा के ख़िलाफ़ एक नया झूठ गढ़कर कहा है कि यदि भाजपा के लोग आपातकाल के समय नसबंदी का विरोध नहीं करते तो आज जनसंख्या नियंत्रण के लिए क़ानून की सिफारिश नहीं करनी पड़ती।
श्री चंद्राकर ने कहा कि आपातकाल में आतंक फैलाकर नसबंदी के नाम पर जो ज़्यादती की जा रही थी, उस आतंक, दमन और ज़ोर-जबर्दस्ती का भाजपा (तत्कालीन भारतीय जनसंघ) ने विरोध किया था। उन दिनों के कांग्रेस के कुशासन के जो साक्षी हैं, वे जानते हैं कि कैसे सरकारी अस्पतालों को नसबंदी के बड़े-बड़े लक्ष्य देकर उन्हें पूरा करने का दबाव तब कांग्रेस की सरकारें देशभर में बनाती थीं। एक-एक डॉक्टर को एक-एक दिन में इतने नसबंदी ऑपरेशन करने के लिए बाध्य किया जाता था कि डॉक्टर्स सुबह से लेकर देर रात तक भोजन-पानी तक के लिए तरस जाते थे। श्री चन्द्राकर ने कहा कि लक्ष्य को पूरा करने के दबाव का आलम यह था कि वृद्धों के अलावा अविवाहित युवकों तक को बख़्शा नहीं जा रहा था और ज़बरिया पकड़कर उनकी भी नसबंदी की जा रही थी। भाजपा (भारतीय जनसंघ) ने नसबंदी के नाम पर भय और आतंक के उस कृत्य का विरोध किया था, जिसे लेकर मुख्यमंत्री बघेल भाजपा पर तानाक़शी करके अपनी राजनीतिक समझ का दीवालियापन जगज़ाहिर कर रहे हैं। श्री चन्द्राकर ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल का बयान यह साफ़ करता है कि वे एक बार फिर अत्याचारों की पराकाष्ठा के प्रतीक उस अलोकतांत्रिक और अन्यायपूर्ण आपातकाल और ज़बरिया नसबंदी का औचित्य सिद्ध करके कांग्रेस के उसी राजनीतिक चरित्र का परिचय दे रहे हैं, जिसमें रंगा उनका सारा सियासी वज़ूद आज छत्तीसगढ़ में आपातकाल जैसे हालात पैदा करने में खप रहा है। श्री चन्द्राकर ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल को अपनी ग़लतबयानी और आपातकाल की गर्हित मानसिकता के प्रदर्शन के लिए न केवल भाजपा, अपितु पूरे प्रदेश से माफ़ी मांगनी चाहिए।
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