00 हम बस्तर में बड़े उद्योगों के पक्ष में नहीं हैं-लखमा रायपुर। शराबबंदी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भाजपा जब भी मौका मिलता है एक दूसरे...
00 हम बस्तर में बड़े उद्योगों के पक्ष में नहीं हैं-लखमा
रायपुर। शराबबंदी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भाजपा जब भी मौका मिलता है एक दूसरे पर दोषारोपण करने से पीछे नहीं हटते हैं। यह इतना आसान भी नहीं है कि इससे बरी हो सकें,सबका सुर अलग-अलग है। शराबबंदी के बारे में प्रदेश के आबकारी और उद्योग मंत्री कवासी लखमा कहते हैं कि जल्दी का काम शैतान का होता है। सरकार इस मामले में सोच-समझकर फैसला लेगी। हम ये भी देखेंगे कि इस फैसले का किसानों और मजदूरों पर क्या असर होता है।दरअसल मंत्री आज दोपहर मीडिया से मुखातिब थे। शराबबंदी के परिणाम गिनाते हुए मंत्री कवासी लखमा ने कहा, बिहार में शराबबंदी हुई है, उसका असर क्या हुआ। वहां तीन लाख से अधिक लोग दो साल से जेल में बंद हैं। इसमें गरीब, किसान और उद्योगों में काम करने वाले लोग हैं। उन पर क्या असर होगा यह देखना होगा। आबकारी मंत्री ने कहा, सरकार राजनीति से ऊपर उठकर इस मामले में सबकी सलाह ले रही है। नई नीति भी सबकी सलाह से आएगी। इसमें जल्दबाजी नहीं होगी, क्योंकि जल्दी काम शैतान का।
कवासी लखमा ने कहा, विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में कर्ज माफी, टाटा की जमीन वापसी, धान के 2500 रुपया प्रति क्विंंटल दाम के साथ शराबबंदी को भी शामिल किया था। हमारे सीएम विधानसभा में और बाहर कई बार बोल चुके हैं कि शराबबंदी करेंगे, लेकिन यह जल्दबाजी में नहीं होगा। मंत्री लखमा ने कहा, छत्तीसगढ़ छोटा राज्य है। यह सामाजिक-आर्थिक और किसानों-मजदूरों से जुड़ा हुआ मामला है। राजनीतिक मुद्दा नहीं है। फैसला करने से पहले शराबबंदी के परिणाम देखने होंगे।
बस्तर क्षेत्र से टाटा उद्योग की वापसी के बाद की स्थिति से जुड़े एक सवाल पर लखमा ने कहा, टाटा ने वहां जमीन इसलिए ली थी कि उसे बैलाडिला की खदान मिल जाए। उसने एक पत्थर नहीं लगाया। इसलिए उसका विरोध था। उन्होंने कहा, हम बस्तर में बड़े उद्योगों के पक्ष में नहीं हैं। यहां महुआ, टोरा, इमली पर आधारित उद्योग लगेंगे। स्थानीय आबादी को फायदा होगा।
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