रायपुर । छत्तीसगढ़ समेत 10 राज्यों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 15 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की है। मेडिकल कॉलेज स्कैम मामले में ...
रायपुर
। छत्तीसगढ़ समेत 10 राज्यों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 15 से ज्यादा
ठिकानों पर छापेमारी की है। मेडिकल कॉलेज स्कैम मामले में यह कार्रवाई की
गई है। दिल्ली से पहुंची ED की टीम रायपुर के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में
जांच कर रही है।
FIR में आरोप है कि नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के
कुछ अधिकारी और अन्य सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेकर मेडिकल कॉलेजों को
इंस्पेक्शन से जुड़ी गोपनीय जानकारी लीक करते थे। इस जानकारी की मदद से
मेडिकल कॉलेजों के कुछ मैनेजर और बिचौलिए पैरामीटर्स में हेरफेर करते थे।
इसी के जरिए कॉलेज अकादमिक कोर्स की मंजूरी हासिल कर लेते थे।
ED की
तलाशी जिन स्थानों पर चल रही है, उनमें अलग-अलग राज्यों के 7 मेडिकल
कॉलेज, और FIR में नामित कई व्यक्तियों के ठिकाने शामिल हैं। दिल्ली, उत्तर
प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़,
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कार्रवाई हुई है।
CBI ने सोमवार को
कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में 40
से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और
डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए। CBI के अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक
जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी निरीक्षण प्रक्रिया को प्रभावित करने
के लिए विभिन्न रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे थे।
केंद्रीय अन्वेषण
ब्यूरो (CBI) ने मेडिकल कॉलेज की मान्यता रिपोर्ट को अनुकूल बनाने के लिए
रिश्वत लेने के आरोप में 3 डॉक्टरों समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। इस
स्कैम में छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट
ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च का नाम भी जुड़ा है।
CBI की जांच के
अनुसार नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज (SRIMSR) के
पक्ष में रिपोर्ट बनाने मामले में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की टीम ने
हवाला के जरिए 55 लाख रुपए की रिश्वत ली है। गिरफ्तार आरोपियों में डॉ.
मंजप्पा सीएन, डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. अशोक शेलके, अतुल कुमार तिवारी, सथीशा ए
और रविचंद्र के. शामिल हैं।
CBI के मुताबिक निरीक्षण दल के सभी
सदस्यों ने SRIMSR के निदेशक अतुल कुमार तिवारी के साथ षड्यंत्र रचा।
निरीक्षण रिपोर्ट जारी करने के लिए रिश्वत लेने पर सहमत हुए। निरीक्षण दल
के सदस्यों में से डॉ. मंजप्पा सीएन ने सथीश ए. को हवाला ऑपरेटर से 55 लाख
रुपए इकट्ठा करने के निर्देश दिए।
डॉ. मंजप्पा ने सथीश ए. को यह भी
बताया कि उन्हें हवाला ऑपरेटर से एक कॉल आएगा कि राशि कैसे एकत्र की जानी
है। डॉ. मंजप्पा ने निरीक्षण दल की एक अन्य सदस्य डॉ. चैत्रा से भी बात की।
उन्हें बताया कि उनका हिस्सा सथीश ए. उनके निवास पर पहुंचवाएंगे।
CBI
ने केस फाइल करने के बाद सभी आरोपियों को पकड़ने के लिए बेंगलुरु में जाल
बिछाया। यहां से 55 लाख रुपए की रिश्वत की रकम बरामद की। रिश्वत की कुल रकम
में से 16.62 लाख रुपए डॉ. चैत्रा के पति रविन्द्रन से और 38.38 लाख रुपए
डॉ. मंजप्पा के सहयोगी सतीश ए से बरामद किए गए थे।
CBI की FIR
में बताया गया है कि डॉ. जीतू लाल मीणा, जो कि नेशनल हेल्थ अथॉरिटी में
जॉइंट डायरेक्टर हैं, उन्हें डॉ. वीरेंद्र कुमार ने भारी रिश्वत पहुंचाई।
इस पैसे से राजस्थान के सवाई माधोपुर में एक हनुमान मंदिर बनवाया, जिसकी
कीमत 75 लाख बताई जा रही है। यह पैसा हवाला के जरिए ठेकेदार भीकालाल को
दिया गया।
विशाखापट्नम के गायत्री मेडिकल कॉलेज को NMC से मंजूरी
दिलाने के बदले 2.5 करोड़ की रिश्वत ली गई, जिसे दिल्ली हवाला चैनल से भेजा
गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी चंदन कुमार ने मंत्रालय की
गोपनीय जानकारी गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर के रजिस्ट्रार मयूर रावल को
दी।
मयूर रावल ने टेक-इन्फी सॉल्यूशन्स के आर. रणदीप नायर के साथ
मिलकर कई कॉलेजों को जांच की जानकारी पहले ही दे दी, ताकि वे भी फर्जी
तैयारी कर सकें।
इस मामले में स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल
साइंसेज (गुजरात), नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
(मेरठ), और अन्य कॉलेजों ने फर्जीवाड़ा कर रिपोर्ट अपने फेवर में बनवाई है।
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