महासमुंद। सिरपुर के उत्खनन में प्राप्त बौद्व अवशेषों से यह प्रमाणित हो गया है। सिरपुर व इसके आसपास के क्षेत्र बुद्व से जुड़े हैं। मेरा प्र...
महासमुंद। सिरपुर के उत्खनन में प्राप्त बौद्व अवशेषों से यह प्रमाणित हो गया है। सिरपुर व इसके आसपास के क्षेत्र बुद्व से जुड़े हैं। मेरा प्रयास होगा की आने वाले दिनों में सिरपुर को पुरात्तव की दृष्टि से अंतराराष्ट्रीय स्तर पर मान्यात दिलाई जाए। यह विचार सिरपुर में आयोजित आज दिनांक 12 मार्च 2021 को तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्व महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी में मुख्यअतिथि के रुप में पधारे जापानी मूल के भदंत नागार्जुन सुरई ससाई ने अपने उद्बोधन ने कहा। श्री ससाई ने उपस्थित जन समूह को त्रीशरण और पंचशील का पाठ भी कराया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में वाराणसी से पधारे हिंदी के विद्ववान व वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर चौथीराम यादव ने कहा कि जब जब देश में समाजिक क्रांति हुई है। उसकी प्रतिक्रांति भी हुई है। चाहे वह बुद्व का युग हो या मध्य कालीन संतों का युग रहा हो या अंबेडकर फुले का युग रहा हो। जामिया मिलिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली से हिंदी विभाग की एचओडी प्रो. हेमलता महिश्वर ने कहा कि बुद्व ने अंतत कहा कि तुम्हे जो भी निर्णय लेना हो अपने ज्ञान के आधार पर लो। इसलिए मत लो की मैंने कहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल ने कहा कि सिरपुर दक्षिण कौशल की राजधानी रही है। बौद्व गया व अन्य स्थानों से ज्यादा बौद्व पुरात्तव प्राप्त हो रहा है। जिसको सहेजने की जरुरत है। पुरात्त्व सर्वेक्षण खुदाई से मिली बौद्व मूर्तियों को ब्राम्हणीकरण व हिंदू करण किया जा रहा है। यह एतिहासिक धरोहर बौद्वों का है। इसे भारत ही नहीं दुनिया तक पहुंचाने की आवश्यकता है। वरिष्ठ पत्रकार एवं दलित चिंतक दिलीप मंडल ने कहा कि बौद्व धर्म को मानने वाले अन्य लोगों की अपेक्षा ज्यादा जागरुक व बुद्वजीवी हैं। सिरपुर हम सभी बहुजनों का बौद्विक हैरिटेज है। पुरातत्ववेत्ता डॉ. मधुकर कठाने ने कहा कि सिरपुर के उत्खनन औैर साक्षयों से यह स्पष्ट होता है कि किस प्रकार से सही तथ्य और साक्ष्यों को उलट दिया गया है। उन्होंने कहा कि चीनी यात्री हेन्सागं ने अपने यात्र में सिरपुर का उल्लेख किया है। और कहा है कि उन दिनों सिरपुर में दस हजार बौद्व भिक्षु रहा करते थे। और सैकडों संघाराम थे।
कार्यक्रम में सिख समाज के परमिंदर जी, दलित दस्तक के अशोक दास, सर्व समाज के अर्जुन हिरवानी के साथ-साथ छत्तीसगढ कला एवं संस्कृति से जुड़े तमाम कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया । कार्यक्रम स्थल पर छत्तीसगढ राज्य सरकार की स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विकास, बामसेफ रायपुर, डॉ बीआर अंबेडकर जनजागरण एवं उत्थान समिति तथा माता रमा बाई अंबेडकर महिला क्लब वाराणसी, जाति निर्मूलन आंदोलन नागपुर,गोडवाना संदेश, बहुजन साहित्य संस्थान बिलासपुर, पेंटिंग व चित्रकला, गोदना कला इत्यादी एवं अनेक सामाजिक एवं स्वेच्छिक संस्थानों से पधारे लोगों ने बहुजन महापुरुषों से जुड़े पुस्तकों इत्यादी का स्टाल लगाया। जहां पर लोगों की भारी भीड़ रही ।
महानदी तट पर मेला स्थल में ओपन मंच पर आज दोपहर लगभग 12 बजे के बाद तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्व महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी का शुभारंभ संविधान की प्रस्तावना का सामुहिक वाचन एवं समस्त आगंतुकों को बाबा साहब द्वारा लिखित पुस्तक भेंट कर अभिवादन किया गया। सुभांगी भीमटे ने बुद्व ही बुद्व पर एकल डांस प्रस्तुति दिया। मोतीमाला कोलेकर आकेस्ट्रा प्रस्तुत किए। दिनेश पटेल जबलपुर ने जादु दिखाया । शिव घृतलहरे ने कबीर बैंड की प्रस्तुति दी। बबीता ने गीत बुद्व और संविधान पर आधारित गीत प्रस्तुत किया। शैलेश बागगड़े और टीम समता सैनिक कला दल नागपुर से समता समानता पर मुक नाटक मंचन किया। कबीर कला बैंड पंथी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति मंच पर दी गई।
मुख्यमंत्री श्री बघेल शामिल होंगे अंतर्राष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव में आज
कार्यक्रम के संयोजक एवं छत्तीसगढ हेरिटेज एंड कल्चरल फाउंडेशन के अध्यक्ष रघुनंदन ने बताया, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 13 मार्च को सिरपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी 2021 में शामिल होंगे। श्री बघेल निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रायपुर से दोपहर 2 बजे हेलीकॉप्टर द्धारा रवाना होकर 2.35 बजे सिरपुर पहुंचेंगे और वहां अंतर्राष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी 2021 में शामिल होंगे। मुख्यमंत्री श्री बघेल कार्यक्रम के बाद सिरपुर से अपरान्ह 3.15 बजे हेलीकॉप्टर द्वारा रवाना होकर 3.45 बजे स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर आएंगे।
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