Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

CG विधानसभा बजट सत्र, 17 दिन पहले समाप्त हुआ

  रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र तय समय से 17 दिन पहले ही खत्म हो गया। विनियोग विधेयक पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास म...

यह भी पढ़ें :-

 


रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र तय समय से 17 दिन पहले ही खत्म हो गया। विनियोग विधेयक पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने विधानसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। अगला सत्र जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में बुलाया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सत्र की अवधि छोटी होने के लिए भाजपा की हठधर्मिता को जिम्मेदार ठहराया है।

विनियोग विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, ये लोग दो बेंच में सिमट गए, लेकिन गुरुर नहीं गया। यहां जो बातें हुईं, जो भी घटनाक्रम हुआ वह सही नहीं है। ये लोग प्रश्नकाल में आएंगे, शून्यकाल में आएंगे शेष में नहीं आएंगे, यह हठधर्मिता है। छोटा बजट सत्र विपक्ष की हठधर्मिता की वजह से हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा, वे सत्ता के अलावा कुछ नहीं सोचते और हम छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा के अलावा कुछ नहीं सोचते।

छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 22 फरवरी को राज्यपाल अनुसुइया उइके के अभिभाषण से शुरू हुआ था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक मार्च को सरकार का वार्षिक बजट पेश किया। उसके बाद अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू हुई थी। सोमवार को अनुपूरक कार्यसूची लाकर सभी विभागों की अनुदान मांगों को पारित करा लिया गया। इस बीच सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष खासकर भाजपा विधायक दल के बीच तल्खियां बढ़ीं। पिछले तीन बैठकों से भाजपा विधायक प्रश्नकाल और शून्यकाल के अलावा शेष कार्यवाही का बहिष्कार कर रहे थे। सत्र की अवधि 26 मार्च निर्धारित थी लेकिन सरकार ने एक ही दिन में तीन विधेयकों को पारित करा लिया। 

विधानसभा अध्यक्ष बोले, संसदीय मूल्यों को प्रभावित नहीं होने देंगे

सत्र को स्थगित करने से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने विधायकों से कहा, सदन में चर्चा के दौरान आरोप-प्रत्यारोप, गतिरोध और आक्रोश के गुजरे पलों को भूलकर सदन को इन परिस्थितियों से बचाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा, परिस्थितिजन्य कारणों से भले ही इस बजट सत्र में विषम स्थिति निर्मित हुई हो लेकिन हमारे संसदीय संस्कारों की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि हम इन परिस्थितियों से भी आगे निकलकर संसदीय मूल्यों को किन्ही भी परिस्थितियों में भविष्य में प्रभावित नहीं होने देने का संकल्प लें। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा, प्रतिष्ठा और द्वेष से सदन को मुक्त रखकर ही हम संसदीय लोकतंत्र की सार्थकता को सिद्ध कर सकते हैं।

No comments