नई दिल्ली । ग्लोबल मिनिमम टैक्स, कई पीढ़ियों में होने वाला वो अंतरराष्ट्रीय टैक्स रिफॉर्म जिस पर दुनिया के 130 देशों ने रजामंदी जताई ...
नई दिल्ली । ग्लोबल मिनिमम टैक्स, कई पीढ़ियों में होने वाला वो अंतरराष्ट्रीय टैक्स रिफॉर्म जिस पर दुनिया के 130 देशों ने रजामंदी जताई है. संसद के मॉनसून सत्र में इस पर केंद्र सरकार से भी विपक्ष ने सवाल किया. केंद्र सरकार ने इस टैक्स को लेकर अपनी मंशा और इस टैक्स के बारे में सारी जानकारी सदन को दी है. आपको बता दें कि इसे वो टैक्स रिफॅार्म कहा जा रहा है जिसके बाद कई बड़ी कंपनियों पर नकेल कसने में कामयाबी मिल सकेगी.
सरकार बोली-भारत इसके समर्थन में
सरकार से सदन में सवाल किया गया था कि क्या भारत ने भी इस टैक्स रिफॉर्म पर सहमति जताई है और इसका समर्थन किया है? अगर ऐसा है तो सरकार की तरफ से इस फैसले की वजह सबको बताई जाए. केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा कि ये बात सही है कि भारत ने इसका समर्थन किया है.
उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2021 तक ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OEDC)/G20 के कई सदस्य इस पर रजामंद हैं. उन्होंने बताया कि एक हाई लेवल पैटर्न अपनाया है. इसमें एक ग्लोबल मिनिमम टैक्स पर सहमति जताई है जिसकी दर कम से कम 15 फीसदी होगी. यह दर अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो सकती है.
क्या है ग्लोबल मिनिमम टैक्स
OEDC ने जून में इस समझौते की घोषणा की थी. समझौते में उन देशों में वैश्विक कंपनियों पर भी कर लगाने की बात कही गई है जहां वे ऑनलाइन कारोबार के जरिये मुनाफा कमाते हैं लेकिन फिजिकली वो वहां पर मौजूद नहीं हैं. बाइडेन की तरफ से कम से कम 15 फीसदी की दर से कर लगाने के प्रस्ताव के बाद यह समझौता सामने आया है. अमेरिकी प्रस्ताव से इस मामले में बातचीत में तेजी आई है. अब इस समझौते पर इस साल जी-20 देशों की बैठक में चर्चा की जाएगी. उम्मीद है कि इस बारे में डिटेल ड्राफ्ट अक्टूबर में तैयार कर लिया जाएगा और समझौते को 2023 में लागू किया जाएगा.
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